वीडियो जानकारी:
कबीर माया पापिनी, लोभ भुलाया लोग।
पुरी किनहूं न भोगिया, इसका यही बिजोग।।
~ गुरु कबीर
प्रसंग:
मै अपने वादे पर कभी खड़ा क्यों नहीं उतर पता हूँ ?
ये वादे कभी पूरे क्यों नहीं होते ?
"पुरी किनहूं न भोगिया, इसका यही बिजोग" कबीर यहाँ क्या बताना चाह रहे है ?
जानें गुरु कबीर जी के इस दोहे का अर्थ, आचार्य प्रशांत जी द्वारा इस शब्दयोग सत्संग के माध्यम से-
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आचार्य प्रशांत
शब्दयोग सत्संग
६ अप्रैल २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
संगीत: मिलिंद दाते